Wednesday, July 2, 2014

पराया ही सही अपना उसे कहना ही पड़ता है
मुहब्बत के लिए हर सितम सहना ही पड़ता है
कुछ आंसू पी लिये जाते है कुछ पलकोँ पे रहते है
जिन्हेँ आंख से बहेना है उन्हेँ बहाना ही पड़ता है
किसी से हम नही डरते मगर ये सोच कर चुप है...
ख़ुदा जिस हाल मेँ रक्खे हमे रहना ही पड़ता है
किसी को क्या सुनाये हम, कोई समझा नही हमको
सभी हो बज़्म मेँ बहरे तो चुप रहना ही पड़ता है
मुहब्बत मेँ वफाओँ का सिला हमने ज़फा देखा
मगर खमोश रहकर ये सहना पड़ता है!!